Ardhanarishwar हिन्दू धर्म में भगवान शिव और देवी पार्वती
Ardhanarishwar हिन्दू धर्म में भगवान शिव और देवी पार्वती का एक विशेष रूप है, जिसमें शिव और पार्वती के आधे-आधे शरीर एक साथ जुड़े होते हैं। इस स्वरूप के पीछे कई धार्मिक और दार्शनिक कथाएँ और महत्व हैं।
एक प्रमुख कथा के अनुसार, जब भगवान शिव और देवी पार्वती का विवाह हुआ, तब पार्वती ने शिव से पूछा कि वे उन्हें कैसे पूर्ण रूप से जान सकती हैं। शिव ने उत्तर दिया कि जब दो आत्माएं पूरी तरह से एक हो जाती हैं, तो वे एक-दूसरे को समझने लगती हैं। इस उत्तर से पार्वती बहुत प्रभावित हुईं और उन्होंने शिव से कहा कि वे हमेशा उनके साथ रहना चाहती हैं, न केवल बाहर बल्कि अंदर भी। शिव ने पार्वती की इस इच्छा को स्वीकार कर लिया और दोनों का आधे-आधे शरीर में एक साथ जुड़ा हुआ स्वरूप अर्धनारीश्वर के रूप में प्रकट हुआ।
Ardhanarishwar रूप का दर्शन यह है कि यह दुनिया स्त्री और पुरुष, शक्ति और शिव, ऊर्जा और चेतना के मिलन से बनी है। इसमें स्त्रीत्व और पुरुषत्व दोनों के महत्व को दर्शाया गया है। यह रूप यह भी दर्शाता है कि शिव और शक्ति एक ही हैं और उन्हें अलग नहीं किया जा सकता।
इस प्रकार, Ardhanarishwar का स्वरूप केवल धार्मिक नहीं, बल्कि दार्शनिक भी है, जो जीवन में संतुलन और एकता का प्रतीक है।
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