हाथी गजेंद्र की भक्ति: भगवान नारायण की कृपा
भगवान नारायण और भक्त हाथी की कहानी एक बहुत ही प्रसिद्ध और प्रेरणादायक कथा है, जिसे “गजेंद्र मोक्ष” के नाम से जाना जाता है। यह कथा भक्त और भगवान के बीच अटूट संबंध और भगवान की करुणा का अद्भुत उदाहरण है।
त्रेता युग में गजेंद्र नामक एक अत्यंत बलशाली और विशालकाय हाथी था, जो भगवान विष्णु का परम भक्त था। गजेंद्र किसी समय इंद्रद्युम्न नामक राजा था, जिसने तपस्या के दौरान कुछ त्रुटि करने के कारण ऋषि अगस्त्य के श्राप से हाथी का रूप धारण कर लिया था। हालांकि, अपने पूर्व जन्म की भक्ति के प्रभाव से गजेंद्र को भगवान विष्णु की असीम कृपा प्राप्त थी, लेकिन उसे अपने पिछले जन्म का कोई ज्ञान नहीं था।
एक दिन, गजेंद्र अपने परिवार के साथ एक जंगल में घूम रहा था। तपती गर्मी से राहत पाने के लिए वह एक सरोवर में स्नान करने गया। जैसे ही वह जल में प्रवेश किया और आनंदपूर्वक जल क्रीड़ा करने लगा, अचानक एक विशाल मगरमच्छ ने उसका पैर पकड़ लिया। गजेंद्र ने अपनी पूरी ताकत से मगरमच्छ से छुटकारा पाने की कोशिश की, लेकिन वह असफल रहा। उसकी ताकत धीरे-धीरे क्षीण होने लगी और उसे अपने जीवन का अंत नजदीक दिखने लगा।
जब गजेंद्र को एहसास हुआ कि उसकी शक्ति उसे बचाने में असमर्थ है, तो उसने भगवान नारायण का स्मरण किया। वह अपने हृदय की गहराई से भगवान विष्णु को पुकारने लगा और उनसे प्रार्थना की, “हे नारायण! मेरे पालनहार! मेरी रक्षा करो।” गजेंद्र ने एक कमल का फूल तोड़ा और अपनी सूँड में लेकर भगवान को अर्पित करते हुए कहा, “हे सर्वशक्तिमान! मेरे उद्धार के लिए कृपा करें।”
गजेंद्र की यह भक्ति और विश्वास भगवान विष्णु के हृदय को स्पर्श कर गया। वे तुरंत गरुड़ पर सवार होकर गजेंद्र की सहायता के लिए स्वर्ग से धरती पर उतर आए। भगवान विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से मगरमच्छ का वध किया और गजेंद्र को उसके संकट से मुक्त कर दिया। इसके बाद, भगवान विष्णु ने गजेंद्र को मोक्ष प्रदान किया, जिससे वह वापस अपने दिव्य रूप में लौट आया।
गजेंद्र मोक्ष की यह कथा हमें सिखाती है कि जब भी भक्त अपने संपूर्ण हृदय से भगवान को पुकारता है, तो भगवान उसकी सहायता के लिए अवश्य आते हैं। यह कथा यह भी दर्शाती है कि जीवन के किसी भी संकट में हमें भगवान पर अटूट विश्वास रखना चाहिए, क्योंकि उनकी कृपा से सभी कठिनाइयाँ दूर हो जाती हैं।
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